कहते हैं कि परिवर्तन ही जीवन है। यदि देश, समाज और आसपास के वातावरण में परिवर्तन न हो, तो व्यक्ति बहुत शीघ्र ही बोर हो जाएगा। हर दिन एक ही चीज खाना संभव नहीं है, भले ही वह खीर-पूड़ी या रसगुल्ले ही क्यों न हों। हर समय एक ही रंग-रूप के वस्त्र पहनने वाले को भी अजीब निगाहों से देखा जाता है। पर परिवर्तन का अर्थ क्या केवल इतना ही परिवर्तन अच्छा भी हो सकता है और खराब भी। एक पीढ़ी के अंतराल में वातावरण कैसा बदला है, इसका अनुभव मुझे कुछ दिन पूर्व अपने एक घनिष्ठ मित्र से मिलने पर हुआ। उसका छोटा-सा कारोबार है। दो बेटियां, एक बेटा; पत्नी और पिताजी। मां का कुछ साल पूर्व देहांत हो गया था। उसके बाद बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह अपना गांव छोड़कर दिल्ली आ गया। गांव का बड़ा मकान और दिल्ली में केवल तीन कमरों का फ्लैट; पर दिल्ली तो दिल्ली ही है। यह बात है
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