अभिमान और तुच्छता, आत्मप्रशंसा और शेखी के रूप में प्रकट होती है | जिससे आपका सामाजिक जीवन सबके लिए असहाय और अनाकर्षक बन जाता है | जनता आपकी प्रशंसा कर सकती हे, किन्तु वह उसको आपके मुख से सुनना नही चाहती | यदि आप अपनी प्रशंसा न्याय और सत्य के अनुसार भी करते हो , तो भी जनता विरोधी हो जाती है और आप के दोषो को ही देखने लगती है | अपनी सफलता को ऐतिहासिक स्त्री- पुरुषो के कार्यो से तुलना करके नम्रता सीखो | ऊँट तभी तक अपने को ऊँचा समझता, जब तक पहाड़ के नीचे नही आता | अपने से बड़े प्रसिद्ध पुरुषो से मिलने का प्रयास करो | इस प्रकार की मित्रता आपको अत्यंत प्रभावपूर्ण नम्रता की शिक्षा देगी || इस बात को याद रखो की अभिमान से आप बहुत कुछ खो देते हो || अभिमानी की बहुत से लोग ना प्रशंसा करते, न सहायता और न प्रेम करते | अभिमान आपके व्यक्तिगत विकास को भी रोकता है | यदि आप अपने को सबसे बड़ा समझने लगोगे तो आप अधिक बडा बनने का यत्न छोड़ दोगे | यदि आपने कोई कार्य ख्याति तथा विज्ञापन योग्य किया है | तो उसके विषय में स्वयं कुछ मत कहो | आपको पता लगेगा की उसके विषय में दूसरे भी किसी ना किसी प्रकार कुछ अवश्य जानते है | आपको गुण अधिक समय तक छिपे नही रहेगे आपको स्वयं उनकी घोषणा करने की आवश्यकता नही | कृष्ण कुमार धाकड़ अठाना प्रवक्ता धाकड़ टुडे अखिल भारतीय धाकड़ युवा संघ नीमच
There are 8 comments on this post
nice
Reply 11th Oct 2017very nice SIR
Reply 11th Oct 2017beautiful line SIR
Reply 11th Oct 2017nice
Reply 24th Oct 2017gjb
Reply 24th Oct 2017thanks all of you
Reply 2nd Nov 20171 n sir
Reply 18th Nov 2017bahut accha
Reply 23rd Nov 2017Please Login to Post Comment !