सदा याद रखना, भले ही लड़ लेना-झगड़ लेना, पिट जाना-पीट देना, मगर बोलचाल बंद मत करना, क्योंकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते है। गुस्सा बुरा नहीं है। यह मानव स्वभाव है लेकिन गुस्से के बाद आदमी जो बैर पाल लेता है, वह बुरा है। गुस्सा तो बच्चे भी करते है, मगर बैर नहीं पालते। वे इधर झगड़ते है और उधर अगले ही क्षण फिर एक हो जाते हैं। कितना अच्छा रहे कि हर कोई बच्चा ही रहे। कुछ व्यक्ति ऐसे होते है जो गलती से प्रेरणा लेकर उससे लाभ उठाते हुए आगे के लिए सावधान हो जाते है और कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जिन्हें कभी अपनी गलती का अहसास ही नहीं होता और वे जिन्दगी भर ठोकरें खाते रहते है। कृष्ण कुमार धाकड़ प्रवक्ता धाकड टुडे पत्रिका अखिल भारतीय धाकड युवा संघ नीमच
There are 8 comments on this post
your thought is right
Reply 24th Oct 2017That's right!
Reply 24th Oct 2017right sir
Reply 24th Oct 2017all Right
Reply 24th Oct 2017u r right line sir
Reply 24th Oct 2017??? ?? ??? ????
Reply 27th Oct 2017thanks all of you
Reply 2nd Nov 2017nyc sir g
Reply 18th Nov 2017Please Login to Post Comment !