अमेरिका का भारत का साथ देना बना मजबुरी -------------------------------------------------------- सुनीलनागर भारत मानें या ना मानें लेकिन यह सही है कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते सुधारने मैं लगा है। ये बात भी सही है कि हम इतना जल्दी विश्वास भी नहीं कर सकते । अमेरिका का झुकाव तो हमेशा ही पाकिस्थान की तरफ रहा है। लेकिन अब उसने अपना फैसला बदल लिया है। वह पाक को सहयोग नही कर रहा है । अभी थोड़ा तो सहयोग करेगा ही क्योंकि वह भी नही चाहता की चीन पाक को सहयोग करे। पाक को इशारे में समझाया है अमेरिका ने लेकिन नहीं माना तो अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ हो गया। हाल ही में अमेरिका ने पाक के साथ कहीं सारे एटमी करार किए थै पाक के साथ , वो भी रद्द कर दिये । हथियार सप्लाई बंद कर दिये । अमेरिका को पता है चीन पूरी तरह पाकिस्थान का साथ दे रहा है । यह बात सभी जानते है जब चीन ने भारत को सदस्यता देने से मना कर दिया था यूएन में । अौर हाँ भी किया तो शर्त रखी कि वह पाक को भी सदस्यता दे। नहीं माननें पर चीन ने हस्ताक्षर नहीं किये। चीन पाक को भारत के खिलाफ खड़ा कर रहा है। अमेरिका जानता है एशिया में एक ही देश है जो चीन को टक्कर दे रहा है। अमेरिका नहीं चाहता की चीन सीधे अमेरिका से टक्कर ले। अगर ऐसा हुआ तो तीसरे विश्व युद्ध की संभावना बन जायेगी। ऐसी स्थिति में अमेरिका की भी भारत को सहयोग करने की मजबूरी बन गई है। उसने पहले पाक को सहयोग किया था लेकिन पाक तो चीन का साथी बन गया है। ये ही नहीं पाक ने चीन के राष्ट्रपति शी झिनपिंग को पाक आमंत्रित किया और पाक का सबसे बड़ा अवार्ड "निशान- ए-पाकिस्थान " भी दे दिया। हालांकि ये अवार्ड लेना चीन की तरफ से एक औपचारिकता ही थी क्योंकि ये बात सभी जानते हैं, अवार्ड से कुछ नहीं होने वाला,लेकिन इससे यह भी जाहिर होता हैकि पाक अब अमेरिका के भरोसे नहीं है वह चीन की तरफ हो गया है। चीन और पाक ने मिलकर ही उत्तरी कोरिया को परमाणु बम बनाने कि तकनीक बैची है ताकि वो अमेरिका के सामनें खड़ा हो सकेे और चीन उसका फायदा उठा सके। देखो आज एक छोटा- सा देश अमेरिका के सामने खड़ा है। यही वजह है कि अमेरिका ने दक्षिणी कोरिया को हथियार और सैन्य सामग्री पंहुचाना शुरू किया था और इसी वजह से वह भारत को भी साथ देने लगा है, ताकि चीन अमेरिका के सामने खड़ा ना हो। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा न जितनी यात्राऐं दूसरे देशों की नहीं की होगी जितनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत की की है। मोदी को नियम परिवर्तन करके वीजा दिया है । अमेरिका आने का न्यौता दिया है और यही नहीं वहां हमारे प्रधानमंत्री का जोरदार स्वागत भी किया है। प्रोटोकोल तोड़कर मुलाकात भी की है। क्या ये बातें कम है विश्वास के लिये। अमेरिका भारत को पूरी तरह से विश्वास दिलाना चाह रहा है कि वह भारत के साथ है। उसने उसी पाक को जो भारत का अातंकवादी है हाफिज सईद उसको यूएन की ओर से आतंकवादी घौषित करवा दिया है। अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति ट्रंप आए हैं वह भी आने वाले कुछ ही दिनों में भारत की यात्रा कर सकते हैं । आप यह बात सब जानते हैं कि ट्रंप की नीतियां भी मुसलमानों के खिलाफ ही है । भारत मानें या ना मानें भारत को सहयोग की जरूरत तो है। क्योंकि हम बिना अमेरिका या रूस के सहयोग के चीन से तो मुकाबला नहीं कर सकते। जितने हथियार चीन के पास है हमारे पास उसके एक- चौथाई भी नहीं है। यही नहीं जितना रक्षा बजट चीन का है भारत का उससे कहीं कम यानि एक- चौथाई रक्षा बजट ही है। लेकिन चीन फिर भी घबराया हुआ है। जबसे भारत में मोदी का शासन आया है। कुह दिनों से अमेरिका भारत का खुलकर सहयोग कर रहा है।अब तो अमेरिका और भारत आपस में मिलकर एक दूसरे को पूरा सहयोग कर रहे है। अभी अमेरिका के मिस्टर जोन कैरी भारत की यात्रा पर आऐ थे वो भी पाक के खिलाफ ही बोले है। ये सब हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की मेहरबानियाँ है। जो आज भारत को सभी जानने लगे है। आखिर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने सभी देशो को भारत का लोहा मनवा ही दिया है।
There are 5 comments on this post
nice
Reply 13th May 2019nice
Reply 17th May 2019prem dhakad
Reply 9th Feb 2020Useful information for every indian
Reply 3rd Jun 2020rajesh dhakads nice
Reply 15th Oct 2021Please Login to Post Comment !